Monday, December 23, 2024

छत्तीसगढ़ में नौकरशाही के अपराधीकरण से मुश्किल में सरकार,रिटायर आईएएस अधिकारी कर रहे एक-दूसरे की नियुक्ति…

छत्तीसगढ़ में नौकरशाही की मनमानी से शासन की हालत पस्त हो गई है। प्रशासनिक कामकाज के लिए अब रिटायर अधिकारी ही अपने सहयोग के लिए रिटायर आईएएस अधिकारियों को नियुक्ति आदेश थमाने लगे है। 

रायपुर : छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे है,वैसे-वैसे सरकारी हमाम के दरवाजे चारो ओर से खुलते नजर आ रहे है। बताते है कि कही चुनावी फंड इकट्ठा करने के चक्कर में,तो कहीं रिटायर आईएएस अधिकारियों को उनकी स्वामी भक्ति का फल देने की होड़ मच गई है। हालत यह हो गई है कि सुसंगत नियुक्ति-ट्रांसफर आदेश जारी होने के बजाए मंत्रालय से ऐसे आदेश जारी हो रहे है जो देश-प्रदेश में सरकार की कार्यप्रणाली की पोल खोल रहे है। ताजा मामला उस आईएएस अधिकारी की नियुक्ति का है,जो रिटायर होने के चंद घंटो बाद ही एक साथ कई मलाईदार विभागों का प्रमुख बन गया।

बताते है कि नवनियुक्त रिटायर आईएएस अधिकारी निरंजन दास का नियुक्ति आदेश दूसरे रिटायर आईएएस अधिकारी डीडी सिंह ने जारी किया है। डीडी सिंह कई वर्षो तक सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव रह चुके है। दो साल पहले सरकारी सेवा से रिटायर हुए आईएएस डीडी सिंह संविदा नौकरी के तहत अपनी खोई हुई कुर्सी दोबारा पाने में कामयाब रहे है। बताते है कि उन्होंने भी रिटायरमेंट के बाद चंद घंटो में ही संविदा नौकरी का नियुक्ति पत्र प्राप्त कर लिया था। जबकि संविदा में अधिकारियों की पुनर्नियुक्ति की योग्यता और अहर्ता संबंधी मापदंड काफी कड़े है। इसके बावजूद भी आईएएस अधिकारी आखिर कैसे बैकडोर एंट्री कर अपनी कुर्सियों में कब्जा करने में कामयाब हो रहे है,यह मामला अदालतों के अलावा देश-विदेश की यूनिवर्सिटी के लिए भी रिसर्च का

छत्तीसगढ़ सरकार ने रिटायर्ड IAS अधिकारी निरंजन दास का पुनर्वास कर फिर से कई विभागों की जिम्मेदारी उन पर लाद दी है। आबकारी विभाग में उनको आबकारी आयुक्त बनाया गया है। निरंजन दास 31 जनवरी को रिटायर हुए थे। उसके तुरंत बाद उन्हें संविदा नियुक्ति देकर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का सचिव बनाया गया था।सामान्य प्रशासन विभाग के संविदा पर नियुक्त डीडी सिंह द्वारा जारी आदेश में निरंजन दास को आबकारी आयुक्त, नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक, स्टेट बेवरेज कॉर्पोरेशन के एमडी और वाणिज्यिक कर विभाग के सचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।राज्य प्रशासनिक सेवा संवर्ग से IAS अवार्ड पाने वाले 2003 बैच के निरंजन दास पिछले 4 सालो से इसी विभाग में तैनात थे।  

छत्तीसगढ़ सरकार में कई अधिकारियों की संविदा नियुक्ति भ्रष्टाचार का पर्याय बन गई है। बताते है कि चुनाव के मद्देनजर नेताओ को कमाऊ पुतो  की जरुरत है। ऐसे में उन आईएएस अधिकारियों की पूछपरख बढ़ गई है,जो सिर में कफ़न बांधकर बाजार में उतर सके। लिहाजा अखिल भारतीय सेवाओं के कई चलनशील और रिटायर अधिकारियों का नेताओ के दरबार में ताँता लगा हुआ है।

बताते है कि मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया के जेल की हवा खाने के बाद तो शासन-प्रशासन में मानव बम की तर्ज पर कुछ भी कर गुजरने को तैयार अधिकारियों की मांग बढ़ गई है। आकर्षक पैकेज पर ऐसे अधिकारियों को नए ठिकानो में बसाया जा रहा है। कई विभागों में संविदा नियुक्ति के जरिए,उन अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है,जिनका कार्यकाल दागदार रहा है। बताते है कि इसी कड़ी में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का नाम भी शामिल है। पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में विवेक ढांड को रिटायर होने के चंद दिनों पूर्व ही “रेरा” का चेयरमैन बनाया गया था।

बीजेपी सरकार की रवानगी के बाद विवेक ढांड मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ कदमताल कर रहे है। बताते है कि रेरा में कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही रिटायर अधिकारियों ने ढांड की बसाहट के लिए पैतरेबाजी शुरू कर दी थी। नतीजतन विवेक ढांड के रेरा से रिटायर होते ही उन्हें नवगठित “नवाचार”  आयोग का चेयरमैन बना दिया गया।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किए जाने वाले प्रशासनिक नवाचारों तथा विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समय-समय पर राज्य सरकार को सुझाव देने के उद्देश्य से ‘छत्तीसगढ़ राज्य नवाचार आयोग’ का गठन किया गया है।बताते है कि इसी तर्ज पर रिटायर अधिकारियों ने निरंजन दास के लिए भी नया बाजार उपलब्ध कराया है। गौरतलब है कि समाज कल्याण विभाग में हुए करोडो के घोटाले में विवेक ढांड नामजद आरोपियों में से एक है।

विवेक ढांड के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट ने घोटाले को लेकर सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे। बताते है कि सरकारी प्रयासों से मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। हालाँकि इसके अलावा भी कई मामलों में विवेक ढांड के खिलाफ जांच लंबित है। फिलहाल,राज्य में जिसकी लाठी उसकी भैंस जैसी स्थिति निर्मित होने से छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक कामकाज का स्तर निचले पायदान पर है।   

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