हिंदू धर्म में व्यक्ति के जन्म से लेकर मरणोपरांत तक कई नियम और परंपराएं हैं. केवल पूजा-पाठ ही नहीं बल्कि व्यक्ति के सोने, उठने और बैठने से लेकर भोजन बनाने और भोजन करने तक से जुड़े कई नियम और परंपराएं हैं, जो जीवनशैली को बेहतर करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं.
शास्त्रों के अनुसार, भोजन स्वास्थ्य के लिए तभी हितकर होता है, जब उसे नियमानुसार बनाया गया हो और ग्रहण किया गया हो. आपने देखा होगा कि कुछ लोग भोजन करने से पहले कुछ मंत्रों का उच्चारण करते हैं और थाली के चारों ओर जल छिड़कते हैं. इसके पश्चात भोजन ग्रहण करते हैं. यह भारतीय परंपरा और हिंदू धर्म से जुड़ा नियम है. कहा जाता है कि इसका पालन हर व्यक्ति को करना चाहिए. हालांकि, भोजन करने से जुड़ी कई परंपराएं आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और न्यू जेनेरेशन के बीच पुरानी होती जा रही है.
शास्त्रों में बताया गया है कि आखिर क्यों भोजन से पहले थाली के चारों ओर जल का छिड़काव और मंत्रोच्चारण करना ज़रूरी होता है. साथ ही इस परंपरा से स्वास्थ्य लाभ भी जुड़े होते हैं, जिसके बारे में बेहद कम लोगों को जानकारी होती है.
भोजन की थाली के चारों ओर जल छिड़कने का ये है धार्मिक कारण
शास्त्रों के अनुसार, भोजन करने से पहले मंत्रोच्चारण करना और थाली के चारों ओर जल का छिड़काव करना इस बात को दर्शाता है कि आप भोजन व अन्न के प्रति सम्मान प्रकट कर रहे हैं. इससे मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं. इसके अलावा इस परंपरा से कई लाभ भी जुड़े हुए हैं.
भोजन की थाली के चारों ओर पानी छिड़कने के स्वास्थ्य लाभ
भोजन की थाली के चारों ओर जल का छिड़काव करने से भोजन के आसपास कीड़े मकोड़े नहीं पहुंचते. पहले के समय में लोग नीचे जमीन पर बैठकर भोजन करते थे. आमतौर पर फर्श मिट्टी के बने होते थे. थाली के चारों ओर जल का छिड़काव करने से फर्श पर मिट्टी के कण चिपक जाते हैं और इससे धूल या मिट्टी के कण भोजन की थाली में नहीं पहुंचते.
भोजन की थाली के चारों ओर जल छिड़कने की परंपरा
भोजन की थाली के चारों ओर जल का छिड़काव करना और भोजन प्रारंभ करने से पहले मंत्र पढ़ने की परंपरा काफी पुरानी है. उत्तर भारत में इसे आमचन और चित्र आहुति कहा जाता है. वहीं, तमिलनाडु में इस परंपरा को परिसेशनम कहते हैं. आज भी कुछ घरों के बड़े-बुजुर्गों और ब्राह्मण भोजन करने से पहले भोजन की थाली के आसपास जल का छिड़काव करते हैं.