Thursday, December 19, 2024

राजभवन में 55 शिक्षकों का सम्मान, तीन शिक्षकों को मिलेगा राज्य शिक्षक स्मृति पुरस्कार

रायपुर। राजभवन में शिक्षक दिवस के अवसर पर गुरुवार को सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा। इसमें राज्य के 55 शिक्षकों को पुरस्कृत किया जाएगा। इसमें 52 शिक्षकों को राज्य शिक्षक सम्मान और तीन को अलग-अलग साहित्यकारों के नाम से राज्य शिक्षक स्मृति पुरस्कार दिए जाएंगे। राज्य शिक्षक सम्मान में 21 हजार रुपये और स्मृति पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को 51 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।

शासकीय हाईस्कूल पाली, बिलासपुर की व्याख्याता डा. रश्मि सिंह धुर्वे को डा. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्मृति पुरस्कार, शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सिंगरपुर, कबीरधाम के शिक्षक राजर्षि पांडेय को डा. मुकुटधर पांडेय स्मृति पुरस्कार और शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला धौंराभाठा, दुर्ग की सरिता साहू को बल्देव प्रसाद मिश्र स्मृति पुरस्कार से नवाजा जाएगा। इस समारोह में राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।

रश्मि ध्रुव को मिलेगा बख्शी स्मृति पुरस्कार
बिलासपुर जिले के तखतपुर विकासखंड के ग्राम पाली विद्यालय की व्याख्याता रश्मि सिंह ध्रुव को डा पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्मृति पुरस्कार मिलेगा। वे वर्ष 2013 में व्याख्याता के तौर पर जुड़ी थीं। वहां स्कूल का न भवन था, न ही कोई भौतिक संसाधन और न ही शिक्षक थे। छात्र संख्या भी मात्र 10 थी। ग्रामीण परिवेश से जुड़े होने के कारण शाला की समस्याएं स्पष्ट दिख रही थीं। व्याख्याता रश्मि सिंह ने हर चुनौती का सामना करने के लिए दृढ़ संकल्प ले लिया था। उन्होंने शाला संचालन की जवाबदारी अकेले निभाई थी। एक प्रभारी प्राचार्य के रूप में कार्य करते हुए उन्हें 11 वर्ष हो चुके हैं। कुल 20 प्रकार के नवाचारों का संचालन करके आज स्कूल को राष्ट्रीय स्तर की पहचान मिल चुकी है। आज विद्यालय न सिर्फ शैक्षणिक क्षेत्र में अग्रणी है बल्कि स्वच्छता, पर्यावरण, खेल, विज्ञान, सांस्कृतिक, शैक्षणिक क्षेत्र में भी अग्रणी है।

डा.बल्देव प्रसाद मिश्र स्मृति पुरस्कार
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला धौंराभाठा में पदस्थ शिक्षिका डा.सरिता साहू का चयन राज्यपाल पुरस्कार के लिए किया गया है। उन्हें डा.बल्देव प्रसाद मिश्र स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। डा. सरिता साहू वर्ष 2008 से पूर्व माध्यमिक शाला धौंराभांठा में पदस्थ है। डा. सरिता साहू ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल में प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम की शुरुआत कर नवाचार किया। चित्र और कार्टून के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ाया। दिव्यांग विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए ब्रेल लिपि का भी सहारा लिया। दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षण सामग्री का निर्माण भी किया। लोक कथा का ब्रेल में रूपांतरण भी किया है। हेमचंद यादव विवि दुर्ग में एमए छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम हेतु शिक्षिका द्वारा रचित पुस्तक ओड़ जाति की लोक कथाएं संदर्भ ग्रंथ के रूप में शामिल किया गया है। शिक्षिका द्वारा लिखी गई चार पुस्तकों का विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों द्वारा पठन सामग्री के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।

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