रायपुर, छत्तीसगढ़ में आरजकता बढ़ रही है। कानून व्यवस्था खत्म हो गई है। निर्दोष आदिवासी नक्सल की आड़ में मारे जा रहे हैं। गौरक्षा की आड़ में खुल्ले आम मुस्लिम समाज के युवाओं की हत्याएं हो रही है। बलौदा बाजार में सतनामी समाज आक्रोशित क्यों हुआ? इस ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही है।
इन्हीं सब बातों को लेकर छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फॉर्म वह मसीह समाज मुस्लिम समाज के द्वारा आज मौन यात्रा निकाली गई जिसमें राजधानी में हो रही अपराधों को अंकुश लगाने साथ ही कई प्रकार के धार्मिक सताव को लेकर जो भी परेशानियां हो रही उन बातों की जांच की मांग वह अपराधियों के उचित कार्रवाई हो
ईसाईयों के विरुद्ध धमतरी पुलिस खुद अभियान चला रही है। कुछ मुख्य अखबार ने इस समाचार को छापा भी है। पिछले पखवाड़े जिले में 27 गंभीर हमले, महिलाओं और धर्मस्थलों पर हुए हैं। एफआईआर नहीं लिखी जाती, शिकायत पत्र लेने से मना कर देते हैं। एसपी को 2000 शिकायत पत्र दिए जा चुके हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस चर्च में प्रार्थना करने के लिए रजिस्ट्रेशन मांगे और मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा को पंजीयन मुक्त होना बताना संविधान का उल्लंघन है। हर इतवार आराधना के दौरान 4-5 चचर्चों पर हमला होता है। धमतरी जिले में पुलिस 37 चर्च बंद करवा चुकी है।
राजनांदगांव, बालोद और धमतरी जिलों में जबरदस्ती घरों में घुसना, लोगों को मारना पीटना, महिलाओं के बाल पकड़ कर पटकना, घसीटना जैसी हिंसा और अश्लील भाषा का सामना कर रही हैं। बाईबल और धार्मिक सामग्री को फाड़ना रौंदना, आम बात हो गई है। बस्तर संभाग में धर्म के नाम पर हत्या को एक्सीडेंट बताया है। ईसाई धर्म नहीं छोड़ा तो पत्थरों से सिर की हड्डी तोड़ी, ना 307 धारा लगी ना ही गिरफ्तारी हुई।
थाना शिकायत पत्र नहीं लेता था, अब वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शिकायत पत्र नहीं ले रहे है। ईसाईयों की जमीन ग्राम पंचायत के नाम चढ़ा दी है। धान बोने नहीं दिया जा रहा है। ग्राम पंचायतें रूढ़ीवाद परंपरा मार-पीट करके पालन करने बाध्य कर रही है। देवी-पूजा और प्रसाद खाने से मना करने के आरोप में 5000/- का जुर्माना लगाकर गांव छोड़ने का आदेश दिया है। संवैधानिक अधिकार सुरक्षित रहें। महामहिम राज्यपाल दखल दें, निरंकुश होती जा रहे शासन को ठीक करें।