छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने प्रियंका गांधी को बस्तर आने का न्यौता दिया है. बस्तर में 12 अप्रैल को महिला सम्मेलन का आयोजन होगा.
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि बस्तर में मातृशक्ति सम्मेलन होगा. मैंने उनको बस्तर आने का निमंत्रण दिया है. राज्य सरकार आंगनबाड़ी सहायिकाओं, महिलाकर्मियों की इच्छा से बड़ा आयोजन किया जाएगा.
पहले यूपी और फिर हिमाचल प्रदेश चुनाव में प्रियंका ने कमान सम्हाली थी। यूपी में सारी कोशिशों के बावजूद सफलता नहीं मिली लेकिन हिमाचल में जादू सर चढ़कर बोला, और कांग्रेस सत्ता में वापस लौटी। हालांकि, हिमांचल में पांच साल में बदलाव का ट्रेंड है लेकिन श्रेय श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा को गया। दोनों ही राज्यों में सीएम बघेल प्रभारी थे। कांग्रेस के भीतर के राजनैतिक समीकरणों ने बार-बार यह संकेत दिया है कि, श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा का विश्वास और समर्थन सीएम बघेल के साथ है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सारे दिग्गज दिल्ली में है। ताम्रध्वज साहू नियमित चेकअप के लिए दिल्ली में हैं, तो सीएम भूपेश बघेल सूरत के बाद दिल्ली चले गए, उन्हें प्रियंका गांधी वाड्रा का कार्यक्रम बस्तर में कराना है, वे उसकी क़वायद के साथ साथ अन्य नेताओं से भी नियमित रूप से जैसा मिलते हैं वैसी मुलाक़ात उन्होंने की है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत भी दिल्ली में हैं, उनकी पत्नी श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत कोरबा सांसद हैं और सत्र की वजह से श्रीमती महंत दिल्ली में हैं।
डॉ चरणदास महंत के दिल्ली में पुराने और गहरे संपर्क हैं, वे अक्सर इन दौरों से अपने संपर्कों में गर्माहट लाते रहते हैं। मंत्री टी एस सिंहदेव भी दिल्ली में हैं और उन्हें लेकर खबरें हैं कि वे संगठन शीर्ष से समय लेकर संवाद करना चाहते हैं।
सारे दिग्गज दिल्ली में तो क़यास भी तेज
राजनीति में हवाई तीर छोड़ने का भी अपना एक समय होता है। पीसीसी चीफ मरकाम और सीएम भूपेश के संबंधों में खटास है और यह छुपा विषय नहीं है। जबकि पिछली बार सीएम बघेल दिल्ली गए थे तो लौटने के बाद उन्होंने बगैर किसी का नाम लिए कहा था
संगठन में बदलाव होंगे
इस बात को पीसीसी चीफ मरकाम के हटने से जोड़ा गया, बस्तर से सांसद दीपक बैज और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का नाम दौड़ भी गया। दोनों को ही सीएम बघेल पैनल का और सीएम का प्रिय माना जाता है। लेकिन उसी वक्त संगठन प्रभारी कुमारी सैलजा ने इस मसले को लेकर हुए सवाल के जवाब में कहा था- संगठन आवश्यकतानुसार बदलाव करता है, नई टीम बनती ही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसे किसी बदलाव की जरूरत महसूस नहीं होती।