Sunday, May 25, 2025

महाराष्ट्र मंडल में याद किए गए भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु

रायपुर। महाराष्ट्र मंडल में गुरुवार शाम को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत के स्मरण में शहीद दिवस मनाया गया। तीनों वीर बलिदानियों की तस्वीर पर मंडल अध्यक्ष अजय काले, सचिव चेतन दंडवते और नाट्य मंडळ निर्देशक अनिल काळेले ने माल्यार्पण किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनिल काळेले ने कहा कि भगत सिंह, श्रीराम हरि राजगुरु और सुखदेव थापर ने महज 23-24 साल की उम्र में भारत देश की आजादी के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को अपनी शहादत से जो गति प्रदान की वह 15 अगस्त 1947 को भारत देश की आजादी के बाद ही थमी। इन तीनों बलिदानियों ने पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूट बिल्स के विरोध में सेंट्रल असेंबली में आठ अप्रैल 1929 को बम फेंका था। बम फेंकने के बाद इन जांबाज युवाओं के पास भागने का समय था, लेकिन इन्होंने न केवल सहर्ष गिरफ्तारी दी, बल्कि भारत देश की आजादी के नारों के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी पर झूल गए।
मंडल अध्यक्ष अजय काळे ने कहा कि भले ही तीनों वीर जवानों को लाहौर के सेंट्रल जेल में फांसी दी गई हो, लेकिन इस घटना ने समूचे देश को झंझकोर कर रख दिया था। भगत सिंह पराधीन भारत में एक बात हमेशा कहा करते थे कि जिंदगी अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो जनाजे जाते है। वे मानते थे कि देश को आजाद करना है तो हमें अपने संघर्षों और आंदोलन से ही करना है। किसी दूसरे से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती. इस अवसर पर बृहन्महाराष्ट्र मंडल के छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी सुबोध टोले, उपाध्यक्ष श्यामसुंदर खंगन, सह सचिव सुकृत गनौदवाले, गीता दलाल, संत ज्ञानेश्वर स्कूल के सह प्रभारी परितोष डोनगांवकर, महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले, मेस प्रभारी दीपक किरवईवाले, दिव्यांग बालिका गृह प्रभारी आस्था काळे, कामकाजी महिला गृह प्रभारी नमिता शेष, पर्यावरण समिति प्रभारी अभय भागवतकर समेत सभी समितियों के पदाधिकारी, महिला केंद्रों की संयोजिका- सह संयोजिकाएं उपस्थित रहीं. राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.

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